महेडू चाखा का परीचय
) मेहडू / जाड़ावत महकरण मेहडू ( जड्डा चारण ) महडू शाखा का नामकरण मेड़वा गांव पर प्रसिद्ध हुआ माना जाता है ।महडू केसरिया , महियारीया सहित बारह शाखाओं का विवरण मिलता है ।इस शाखा के गांव सरस्या , बाड़ी , देवरी , खेरी , संचयी , सालीया एवं कोकलगढ़ है ।मेहडू शाखा में कविवर महकरणजी , कानदासजी , लांगीदानजी , वजमालजी जैसे कवि हुए ।इनमें सबसे ज्यादा प्रभावशाली एवं काव्य प्रतिभा से यश कीर्ति महकरण मेहडू को प्राप्त हुई ।ये मूलतः सरस्या ( तह जहाजपुर , भीलवाड़ा ) के रहने वाले थे ।इनकी काव्य प्रतिभा पर अकबर बादशाह भी मुग्ध थे ।शरीर से भारी होने पर ये जाड़ा चारण नाम से विख्यात हुए ।तथा इनके वंशज जाड़ावत / मेहडू कहलाने लगे ।अकबर बादशाह के दरबार में प्रथम भेंट में ही इन्होंने अपने भारी शरीर होने से उठ कर नजराना करने के ।विषय में अपनी असमर्थता प्रकट कर दी ।इस पर इनको बैठे बैठे ताजीम देने का अधिकार दिया गया ।अकबर के नवरत्नों में से एक वजीर खानखाना मिर्जा अब्दुल रहीम ने इनकी विद्वता पर मुग्ध होकर ये दोहा कहा : धर जड्डा अंबर जड़ा जड्डा चारण जोय ।जड़ा नाम अल्लाहरां अवर नं जड़ा कोय ।।महियारिया कविवर श्री नाथूसिंह महियारिया महियारिया गौत्र का नाम महाराणा द्वारा महियार गांव जागीर में देने पर उक्त गांव के नाम से महियारिया हुआ ।इनके पूर्वज